Savitribai Phule Jayanti
Savitribai Phule Jayanti समारोह
Savitribai Phule Jayanti संचालक महोदय को धन्यवाद जो उन्होंने बोलने का मौका दिया
सावित्रीबाई फुले , राष्ट्रपिता ज्योतिव राव फुले को नमन करते हुए , मंच पर उपस्थित सम्मानित अतिथिगणों को नमन करते हए समारोह में आये हुए सभी सम्मानित साथियों को बंदन करते हुए हम अपनी बात शुरू करते है
आज सावित्रीबाई फुले फाउंडेशन द्वारा ,सावित्रीबाई फुले की जयंती समारोह(Savitribai Phule Jayanti) मनाया जा रहा है
आप सभी को आज यहां इकट्ठा होकर, सावित्रीबाई फुले की जयंती समारोह में भाग लेने का बहुत बहुत धन्यवाद। यह एक अत्यंत गर्व का मौका है कि हम सभी मिलकर इस महान व्यक्तित्व की स्मृति में यह समारोह आयोजित कर रहे हैं, जो हमें न्याय, समानता, और शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए याद दिलाता है।
सावित्रीबाई फुले, भारतीय समाज की एक शक्तिशाली विदुषी महिला थीं, जिन्होंने 19वीं सदी में निचली जातियों के प्रति फैली कुरीतियों और जातिवाद के खिलाफ विरोध करने का सहस दिखाया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपना अद्वितीय योगदान दिया और महिलाओं के उत्थान के लिए संघर्ष किया।
आज Savitribai Phule Jayanti के मौके पर उन्हें नमन करने के साथ साथ उनके साहसिक कार्यों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।
माता सावित्रीबाई फुले के सम्बन्ध में कुछ महत्त्वपूर्ण बाते जान लेते है
उनका सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के नायगांव जिले में हुआ था।
सावित्री बाई का विवाह 9 वर्ष की आयु में ज्योतिराव फुले के साथ हुआ था।
.सावित्रीबाई ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर महिलाओं के लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया।
सावित्रीबाई ने 1850 तक 18 विद्यालयों की स्थापना किया
उन्होन 1852 में ‘इंदु शिक्षा समिति’ की स्थापना की.
सावित्रीबाई फुले ने भारत में पहली महिला शिक्षक बनने का गौरव प्राप्त किया।
सावित्रीबाई ने ‘बालहत्या प्रतिबंधक गृह’ स्थापित किया, जिसमें बच्चों को सुरक्षित रखने का काम किया गया।
सावित्रीबाई फुले ने समाज में जाति-व्यवस्था और महिलाओं के अधिकार के प्रति जागृति बढ़ाने में अपना योगदान दिया।
सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं को मूक बनने से मुक्त करने के लिए अपना जीवन समर्पण किया।
उनका प्रभावित कार्य महिलाओं को शिक्षित बनाने में आज भी महत्वपूर्ण है।
आज, हमें इस अद्वितीय महान व्यक्तित्व के साहसिक कार्यों से सीखना चाहिए , उनके आदर्शों को अपनाकर आज के परिवेश में फैली अराजकता के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए है,। सावित्रीबाई फुले ने हमें एक महत्वपूर्ण सीख दी है – समाज में सुधार लाने के लिए हमें लक्ष्य के प्रति समर्पित रहकर काम करना होता है।
उनके द्वारा , शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों से हमें यह सिखने को मिलता है कि शिक्षा हमारे समाज को सुधारने का सबसे बड़ा साधन है। हमें भी शिक्षा के माध्यम से अपने समाज में जागरूकता फैलाने का संकल्प करना चाहिए।
सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के अधिकारों के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किया और हमें यह याद दिलाया कि समाज में समानता महिला सशक्तिकरण के बिना संभव नहीं है। हमें उनके उदाहरण से प्रेरणा लेकर महिलाओं को शिक्षित बनाने और उन्हें समाज में सक्रिय भागीदार बनाने का संकल्प लेना चाहिए।
आज, हमें Savitribai Phule Jayanti समारोह के माध्यम से यह याद दिलाना चाहिए कि हमें सावित्रीबाई फुले के संघर्ष को आज भी अपनाना चाहिए।
आज हमारे भारत वर्ष में जो नारी सशक्तिकरण है वह माता सवित्रीबा फुले की देना है। आज महिलाओं को इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए।
आज के Savitribai Phule Jayanti समारोह के इस अद्वितीय मौके पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम सावित्रीबाई फुले के उदाहरण को जीवन में अपनाएंगे और उनकी महान आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते है। इन्ही शब्दों के साथ हम अपनी वाणी की विराम देतें है धन्यवाद।
“जय हिन्द”
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