मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कृषि एवं औद्योगिक उपयोग की भूमि पर development fee and charges आवासीय और व्यावसायिक उपयोग की तुलना में कम होना चाहिए। स्थानीय नगर निकाय सीमा के अंदर और सीमा के बाहर की भूमि पर भी शुल्क की दरों में अंतर किया जाए।
यूपी सरकार भूमि क्षेत्र और उपयोग के आधार पर वाह्य विकास शुल्क नए सिरे से तय करने जा रही है। शहरी सीमा के अंदर और इसके बाहर भूमि के लिए अलग-अलग शुल्क की दरों में अंतर होगा। शहर के अंदर अधिक और शहर के बाहर कम होगा। कृषि एवं औद्योगिक उपयोग की भूमि पर बाह्य विकास शुल्क, आवासीय और व्यावसायिक की तुलना में कम होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आवास विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने इसके साथ ही ‘शहरी पुनर्विकास नीति’ को देखा और कहा कि इसे जल्द लागू किया जाए।
स्थान व उपयोग के आधार पर development fee and charges
मुख्यमंत्री के समक्ष मंगलवार को आवास विभाग ने दो नई नीतियों का प्रस्तुतीकरण किया। शहरों में नक्शा पास करने पर लगने वाले ‘वाह्य विकास शुल्क नीति’ और शहरी पुनर्विकास नीति। मुख्यमंत्री ने दोनों को देखने के बाद निर्देश दिया कि वाह्य विकास शुल्क नीति को व्यवहारिक और जनहित के अनुरूप बनाया जाए। मौजूदा समय सभी प्रकार के भूमि उपयोग आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक और कृषि पर समान शुल्क दरें लागू हैं, यह व्यवहारिक नहीं है। नई व्यवस्था में स्थान और भूमि उपयोग के आधार पर शुल्क दरों में अंतर रखा जाए।
कृषि व उद्योग पर कम होगा
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कृषि एवं औद्योगिक उपयोग की भूमि पर बाह्य विकास शुल्क आवासीय और व्यावसायिक उपयोग की तुलना में कम होना चाहिए। स्थानीय नगर निकाय सीमा के अंदर और सीमा के बाहर की भूमि पर भी शुल्क की दरों में अंतर किया जाए, ताकि निवेशकों और आम नागरिकों दोनों के हितों का संतुलन बना रहे। बाह्य विकास शुल्क की गणना प्रणाली में पारदर्शिता और सरलता लाई जाए। ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिसमें सामान्य व्यक्ति स्वयं अपने शुल्क की गणना कर सके। इसके लिए शुल्क निर्धारण का फॉर्मूला स्पष्ट, ऑनलाइन और न्यूनतम मानव हस्तक्षेप वाला होना चाहिए।
सुविधाओं पर खर्च करें पैसा
मुख्यमंत्री ने कहा है कि इससे प्राप्त धनराशि का उपयोग वास्तव में बाह्य बुनियादी सुविधाओं जैसे, सड़क, जलापूर्ति, सीवरेज, स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज, विद्युत व अन्य जनसुविधाओं के विकास में किया जाए। इसके लिए विकास प्राधिकरणों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। बाह्य विकास शुल्क से संबंधित वर्तमान प्रावधानों की समीक्षा कर, जनसुलभ, पारदर्शी और व्यवहारिक नीति का प्रारूप शीघ्र तैयार किया जाए, ताकि नगरीय विकास योजनाओं में तेजी आए और नागरिकों को वास्तविक लाभ मिले।
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पुराने व जर्जर भवनों के लिए नीति
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों के तीव्र गति से बदलते विकास के स्वरूप को देखते हुए ‘शहरी पुनर्विकास नीति’ की जरूरत है। यह नीति केवल भवनों के पुनर्निर्माण तक सीमित न रहकर शहरों के समग्र पुनर्जागरण का मार्ग प्रशस्त करेगी। शहर केवल इमारतों का समूह नहीं, बल्कि जीवंत सामाजिक संरचनाएं हैं। इनके पुनर्जीवन के लिए ऐसी नीति की जरूरत है, जो आधुनिकता, परंपरा और मानवता तीनों का संतुलित समन्वय करे। नई नीति का उद्देश्य पुराने, जर्जर और अनुपयोगी क्षेत्रों को आधुनिक शहरी बुनियादी ढांचे, पर्याप्त सार्वजनिक सुविधाओं और पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकसित करना है। नीति में ऐसी व्यवस्था की जाए, जिनसे निवास योग्य, सुरक्षित, स्वच्छ और सुव्यवस्थित शहरों का निर्माण सुनिश्चित हो।
प्रभावित परिवारों की आजीविका की सुरक्षा
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि नीति में भूमि पुनर्गठन, निजी निवेश को प्रोत्साहन, पारदर्शी पुनर्वास व्यवस्था और प्रभावित परिवारों की आजीविका की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। हर परियोजना में ‘जनहित सर्वोपरि’ की भावना हो और किसी की संपत्ति या जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इसके लिए न्यायसंगत और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए। नई नीति में राज्य स्तरीय पुनर्विकास प्राधिकरण, परियोजनाओं की सिंगल विंडो अप्रूवल प्रणाली और पीपीपी मॉडल को प्राथमिकता दी जाए। निवेशकों को स्पष्ट दिशा-निर्देश, प्रोत्साहन और सुरक्षा दी जाए, ताकि निजी क्षेत्र पुनर्विकास में सक्रिय भागीदारी कर सके। साथ हर परियोजना में हरित भवन मानक, ऊर्जा दक्षता और सतत विकास के प्रावधान अनिवार्य किए जाएं।
विरासत व सांस्कृतिक पहचान वाले भवनों का संरक्षण
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों की ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए। पुराने बाजारों, सरकारी आवास परिसरों, औद्योगिक क्षेत्रों और अनधिकृत बस्तियों के लिए क्षेत्रवार अलग रणनीति तैयार की जाए। नीति में सेवानिवृत्त सरकारी आवासों, पुरानी हाउसिंग सोसाइटियों व अतिक्रमण प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्विकास को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। नई नीति का मसौदा जनप्रतिनिधियों, नगर निकायों और आम नागरिकों से प्राप्त सुझावों के आधार पर अंतिम रूप से तैयार किया जाए और शीघ्र कैबिनेट मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाए
