“भाभी का दिल आया देवर पे” एक सुंदर और दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी है, जिसमें सविता भाभी जैसी राधा भाभी का दिल अपने देवर पर आता है। ये कहानी प्यार, त्याग और समाज के बंधनों के बीच दिल के जज्बातों को उजागर करती है। भाभी का दिल आया देवर पे – एक दिलचस्प और मार्मिक प्रेम कहानी | Radha bhabhi love story को पढ़े और यादें ताजा करे।
भाभी का दिल आया देवर पे l Radha bhabhi love story hindi
Radha bhabhi love story सुहानी चांदनी में गांव के एक छोटे से घर में शुरू होती है , जहां जिंदगी अपने सदा रंगों में बहती थी, राधा अपने पति अरविंद के साथ रहती थी। राधा, एक ऐसी औरत थी जिसकी मुस्कुराहट में सविता भाभी जैसी कशिश थी—एक अदा जो दिलो को छू जाती थी। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें और सौम्य चेहरा हर किसी को अपना दीवाना बना देता था। पर राधा का दिल सदा अपने पति के लिए समर्पित था, जैसा एक पतिव्रता नारी का होता है।
अरविंद का छोटा भाई, शोभित, शहर से गांव वापस आया था। शोभित जवान, सुंदर, और थोड़ी सी शरारत भारी आँखों वाला लड़का था। उसके आने से घर में एक नई ताजगी छा गई। राधा ने जब उसे पहली बार देखा, तो उसकी आँखों में एक अनोखी सी चमक थी। पहली नजर में ही शोभित राधा के दिल में समा गया। शोभित ने भी राधा को देखा, तो उसके दिल में भी कुछ हलचल हुई । ये वो लम्हा था जब दिल के तार छेड़ देते हैं, पर समझ नहीं आता कि ये क्या है। यही से शुरू हो जाती है Radha bhabhi love story।
राधा ने अपने आप को संभाला और मुस्कुराते हुए कहा, “शोभित, कितने साल बाद आए हो, घर को याद किया या बस यूं ही?”
शोभित ने भी हंसकर जवाब दिया, “भाभी, शहर की दौड़ में दिल थक गया। सोचा, घर के खाने का स्वाद और आपकी बातें ही दिल को सुकून देंगी।”आप पढ़ रहे है भाभी की love story हिंदी में ।
राधा के चेहरे पर एक आकर्षक मुस्कान आ गयी जैसी सविता भाभी अपनी शरारती मुस्कान से सबको मोह लेती है, वैसी ही राधा का दिल भी शोभित की बातों से धड़क उठा, पर वो जानती थी कि ये रिश्ता सिर्फ भाभी-देवर का है, और उसने अपने दिल को समझा लिया।
दिन बीते, और शोभित घर का हिसा बन गया। वो रोज़ सुबह राधा के साथ खेतों में जाता, उसकी छोटी-छोटी चीज़ों में मदद करता। कभी राधा के हाथों से हल्दी गिर जाती, तो शोभित मज़ाक में कहता, “भाभी, ये हल्दी नहीं, आपका प्यार है जो हर चीज़ में रंग भर देता है!” राधा हंस पड़ी उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगता है। ये वो पल थे जब दिल के जज़्बात समाज के बंधनो से टकरा रहे थे। इसके बाद से राधा शोभित से टकराने या स्पर्श होने के तरीके खोजने के फ़िराक में रहने लगी।
एक दिन, जब अरविंद शहर में काम के सिलसिले में गया था, शोभित और राधा आंगन में बैठ कर बातें कर रहे थे। राधा ने कहा, “शोभित, तुम्हारी वजह से ये घर हमेशा खुश रहता है। तुम इतने अच्छे क्यों हो?” शोभित ने गौर से राधा की आँखों में देखा और कहा, “भाभी, ये घर नहीं, आप हो जो इसे रोशन करती हैं। जैसी सविता भाभी अपने घर को अपनी अदा से सजाती हैं, वैसे ही आप भी इस घर की शान हैं।”
राधा का दिल तेजी से धड़का। उसने अपनी नज़रें झुका ली, पर उसकी आँखों में एक अनकही सी बात थी। ये वो पल था जब दिल के बंधन समाज के बंधनो से लड़ रहे थे। राधा भाभी जानती थी कि ये गलत है, पर दिल का क्या? दिल तो बस अपना सुनता है।
एक रात, जब बिजली चली गई, शोभित ने मिट्टी के दिए जलाए और राधा के साथ बैठ कर पुरानी यादें बांटने लगा। उसने कहा, “भाभी, जब मैं छोटा था, तो भैया कहते थे कि एक दिन मुझे भी आप जैसी भाभी मिलेगी। पर अब लगता है, आप जैसी कोई हो ही नहीं सकती।” राधा भाभी के गाल शर्म से लाल हो गए। उसने बदलने की कोशिश की, पर उसकी आँखों में एक छुपा हुआ जज़्बात था जो शोभित पढ़ चूका था।
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एक महीना बीत गया। राधा और शोभित के बीच एक अनकही सी दोस्ती बन गई थी। वो एक दूसरे के लिए छोटी-छोटी चीजें करते हैं। शोभित कभी राधा के लिए खेतों से ताजा फूल लाता, तो कभी राधा उसके लिए उसकी पसंद का खीर बनती। ये दोस्ती अब दोस्ती नहीं रही थी—ये कुछ और था, कुछ गहरा, कुछ जो शब्दों से बयान नहीं हो सकता।
एक दिन, जब राधा भाभी अकेली खेतों में पानी डाल रही थी, शोभित उसके पास आया। उसने राधा का हाथ पकड़ा और कहा, “भाभी भाभी अब मैं और नहीं छुप सकता। मेरा दिल आपके लिए धड़कता है। मैं जानता हूं ये गलत है, पर दिल का क्या करें? आपके बिना अब जीना मुश्किल लगता है।”
राधा के पांव तले की ज़मीन खिसक गई। उसके दिल में भी तो वही जज़्बात था, पर वो अपने पति के प्रति अपनी वफ़ादारी को नहीं भूल सकती थी। उसने अपना हाथ छुड़ा लिया और कहा, “शोभित, ये गलत है। मैं तुम्हारी भाभी हूं। ये रिश्ता पवित्र है। तुम ये बात दिल से निकाल दो।”
शोभित के चेहरे पर उदासी छा गई। उसने राधा की बात मान ली और चुपचप वापस घर चला गया। राधा अकेली खेतों में उदास मन से काम करती रही। उसके दिल में एक तूफ़ान उठ रहा था, जैसे सविता भाभी अपने दिल के जज्बातों को छुपाती है, पर कभी-कभी वो जज्बात उसकी आंखों में दिख ही जाते हैं, वैसे ही राधा का दिल भी अपनी बात छुपा नहीं पा रहा था।
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कुछ दिन बाद, अरविंद वापस आ गया। उसने देखा कि घर का माहौल बदला हुआ था। राधा चुप-चुप सी रहती, और शोभित भी अक्सर अपने कमरे में बंद रहता है। अरविंद ने राधा से पूछा, “क्या बात है, राधा? तुम इतनी चुप क्यों हो?” राधा ने मुस्कुराकर कहा, “कुछ नहीं, बस थोड़ी थकन है।”
पर सच तो ये था कि राधा का दिल टूट रहा था। वो शोभित के प्यार को ठुकरा चुकी थी, पर अपने दिल को कैसे समझे? शोभित भी अपने जज्बातों को दबा रहा था। वो जानता था कि उसका प्यार राधा के लिए गलत है, पर दिल का क्या करें?
एक दिन, शोभित ने फैसला किया कि वो गांव छोड़कर शहर वापस जाएगा। उसने राधा से कहा, “भाभी, मैं जानता हूं कि मैंने आपको परेशान किया है। इसलिए मैं जा रहा हूं। आप और भैया खुश रहो, यही मेरी दुआ है।”
राधा के आंखों में आंसू आ गए। उसने कहा, “शोभित, तुम गलत समझ रहे हो। तुमने कुछ गलत नहीं किया। ये दिल है, जो कभी-कभी मन से अलग चलता है, पर हमें अपने रिश्तों का सम्मान करना होगा।”
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शोभित ने अपनी राधा भाभी को एक लंबी सी नज़र से देखा और चला गया। राधा उसकी जाती हुई पीठ को देखती रही, और उसके दिल में एक सन्नाटा छा गया। जैसी सविता भाभी अपने दिल के जज़्बातों को समझती हैं, वैसे ही राधा भाभी ने भी अपने प्यार को दिल में दबा लिया।
साल बीत गए। शहर में रहते हुए शोभित की जिंदगी में बदलाव हो गया। राधा और अरविंद गांव में अपनी जिंदगी जी रहे थे, पर राधा के दिल में एक खाली-पन था, जो कभी नहीं भरा। शोभित भी अपने दिल के एक हिस्से को गाँव में छोड़ आया था।
एक दिन, गाँव में एक शादी के मौके पर शोभित वापस आया। राधा ने उसे देखा, और दोनों के दिल एक पल के लिए मिल गए। शोभित ने राधा से कहा, “भाभी, आप अब भी उतनी ही सुंदर हो। मैं आपको हमेशा याद करता हूं, पर अब सिर्फ एक भाभी के रूप में।”
राधा ने मुस्कुराकर कहा, “शोभित, तुम भी तो वही शरारती देवर हो। बस अब ये दिल थोड़ा समझदार हो गया है।” दोनों आमने सामने थे पर उनकी आँखों में एक अनकही सी बात थी।
शादी के बाद, जब शोभित वापस शहर जाने लगा, राधा ने उसे एक छोटा सा डिब्बा दे दिया। उसमें उसकी पसंद की खीर थी। शोभित ने कहा, “भाभी, ये खीर तो आपके प्यार का स्वाद है।” राधा ने सिर्फ मुस्कुरा दिया।
शोभित के जाने के बाद, राधा ने अपनी जिंदगी को नये सिरे से जीना शुरू किया। वो अपने पति के साथ खुश थी, पर उसके दिल का एक छोटा सा हिस्सा हमेशा शोभित के लिए धड़कता रहा। शोभित भी शहर में अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गया, पर राधा की यादें उसके दिल में एक मीठी सी कसक बनकर रह गई।
राधा ने गांव के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। उसकी जिंदगी में एक नया मकसद आ गया। वो अपने प्यार को अपने काम में ढाल रही थी, जैसी सविता भाभी अपनी जिंदगी में अपने जज्बातों को नए रंग देती है। शोभित भी शहर में एक छोटी सी दुकान खोली और अपने सपनों को पूरा करने लगा, और अपनी भाभी की पसंद की सुंदर सी लड़की से shadi किया खशी से रहने लगा।
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उपसंहार
राधा और शोभित के दिल में एक अनकही सी कहानी थी, जो कभी पूरी नहीं हुई। पर उनका प्यार सच्चा था, जो समाज के बंधनों से ऊपर उठकर भी अपनी पवित्रता बनाये रखा। जैसी सविता भाभी अपनी जिंदगी में अपने जज़्बातों और परिवार के बीच संतुलन बनाती हैं, वैसी ही राधा ने भी अपने दिल के एक हिस्से को हमेशा के लिए शोभित के नाम कर दिया, पर अपने रिश्तों का सम्मान किया।
ये कहानी ना सिर्फ प्यार की है, बाल्की त्याग, समर्पण, और समाज के बंधनों के बीच दिल के जज्बातों की है। राधा और शोभित का प्यार शायद कभी पूरा नहीं हुआ, पर उनकी यादें हमेशा उनके साथ रहीं। ये कहानी हर उस दिल के लिए है जो प्यार में त्याग करता है, पर अपने जज्बातों को जिंदा रखता है।
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