ये कहानी है हमारी True Life Story की, जहां सुख-दुख, पैसों की तंगी, लोगों की छीटाकशी, और आज के समय का असर सब समाया है। हमारे परिवार में चार लोग हम, पत्नी सीता, बेटी रानी और बेटा राजा। जिंदगी अमन चैन से चल रही थी अचानक दो मोड़ आये उनमे क्या हुआ यह जानने के लिए यह True Life Story पढ़ें।
भैया, हम हैं राम प्रसाद, बिहार के पिपरिया गांव के रहने वाले, उमर अब 60 के करीब, पर दिल में अब भी वही गांव का जोश और प्यार भरा है। ये कहानी है हमारी जिंदगी की, जहां सुख-दुख, पैसों की तंगी, लोगों की छीटाकशी, और आज के समय का असर सब समाया है। हमारे परिवार में चार लोग – हम, पत्नी सीता, बेटी रानी और बेटा राजा। ग्रामीण परिवेश के साथ आज के संस्कृति को कैसे संभालें, कैसे प्रबंधित करें, ये एक ऐसी कहानी है जो दिल को छू जाती है। देहाती भाषा में बोलते हैं, क्योंकि ये हमारा जीवन है – सच्चा, सदा, और भावुक।
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हमारा बचपन गांव के कच्चे मकान में बीता। रोज सुबह सूरज निकलते ही बाप जी के साथ खेत जाते, हल्दी-धनिया के खेत में हाथ बटाते, माँ चूल्हा जलती, रोटी बनाती, और हमें पढ़ने के लिए पाठशाला भेजती। पर हमारा पढ़ाई में मन न लगा, 8वीं में फेल हो गए। बाप जी बोले, “बेटा, पढ़ाई नहीं तो काम सीख।” फिर पटना गए, एक उस्ताद के पास इलेक्ट्रीशियन का काम सीखा – वायरिंग, पंखा, ट्यूबलाइट बनाना, और कम सीखकर वापस गाँव आये, छोटा सा दुकान खोला। रोज़ 100-200 रुपये कमायें , पर घर चलाना मुश्किल। लोग बोलते हैं, “रमवा, तू तो बिजली का जादूगर है,” लेकिन मेरी जेब खाली, दिल उदास रहता।
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उमर 25 की हुई, सीता से शादी हुई। वो पड़ोस के गांव की लड़की, आंखों में सपने, दिल में प्यार बसा था। शादी के बाद घर बसा , पर पैसे की कमी थी। सीता सुबह 4 बजे उठ के गाय-भैंस को चारा डालती, दूध दोहती, खाना बनाती। हम इलेक्ट्रीशियन का काम करते हैं, रात को थके-हारे घर लौटते हैं । फ़िर राजा पैदा हुआ दिल खुश लेकिन दूध, कपड़ा, डॉक्टर का खर्च की टेंशन भी ज्यादा थी। सीता के चेहरे पर हंसी, पर आंखों में चिंता रहती। हम सोचते हैं, “परिवार कैसे संभालेंगे?”
सरकारी नौकरी का सुनेहरा दौर (True Life Story)
एक दिन बिजली विभाग में लाइनमैन की नौकरी का फॉर्म भरा, टेस्ट दिया और सेलेक्ट हो गए। वाह! जिंदगी बदल गयी। सैलरी 10 हजार महीने की थी। सुबह साइकिल पर निकलते, गांव-गांव तार जोड़ते, बिजली की खम्भों पर भी चढ़ते । लोग ताना मरते हैं, “अरे राम प्रसाद, तू तो सरकारी बाबू बन गया, अब तो अमीर हो गया पर हम कहते हैं, “भैया, मेहनत से ही सब है।”
कुछ साम्य बाद बेटी रानी पैदा हुई। पारिवारिक पूर्ति हुई- पति, पत्नी, बेटा और बेटी। घर में टीवी आया, फ्रिज आया, बच्चों को साइकिल भी मिली, स्कूल की फीस 500 रुपये महीने की, टाइम पे भरते। सीता घर संभालती, बच्चों को तैयार करती, शाम को मंदिर जाती। राजा और रानी खुश, पढ़ाई में दोनों अच्छे। 20 साल गुजर गए, सैलरी बढ़ कर 25 हजार हो गई। जिंदगी में सुख था, प्यार था।
एक दिलचस्प कहानी प्यार न मिलने के बाद की परिकल्पना
मुसीबत का तूफ़ान
कहावत है दिन के तें पन हेट है जिंदगी में सुख हमेशा नहीं रहता। 20 साल बाद, सरकार में नीति बदली, बिजली विभाग में छंटनी हुई ,हमारा नाम लिस्ट में आ गया। एक दिन पत्र मिला राम प्रसाद तुम्हारी “सेवा समाप्त” घर आके सीता को बताया, वो रो पड़ी, “अब का होगा? । राजा की पढ़ाई, रानी का कॉलेज और घर का खर्च कैसे चलेगा।” हम भी टूट गए, आँखों में आँसू बहे पर हम बोले, “कुछ रास्ता जरुर निकलेगा।” पैसे की तंगी शुरू हो गयी। पेंशन थी नहीं, क्योंकि हमारी नौकरी एक अनुबंध था।
पुराना इलेक्ट्रीशियन का काम ढूंढा, पर गांव में सरकारी लोग ही सब करते हैं। शहर गए, वहां भी काम नहीं मिला। उमर 50 की हो गयी , लोग बोले, “अंकल, अब तो रिटायर हो जाओ।” लोगों की छीटाकशी दिल पे लगी – पडोसी हसते, “राम बाबू, नौकरी गयी, अब तुम भूखे मारोगे?” चौराहे पर बैठते, लोग पूछते, “अब का कर रहे हो?” यह सुनकर दिल रो पड़ता।
बेहतरीन प्रेम कहानी उम्र का तकाजा और दोस्तों का साथ।
सीता को भी सुनना पड़ा। पड़ोस की चाची बोलती, सीता, तेरा पति तो बेकार बैठा, तू ही काम कर। सीता चुप रहती, पर रात को रोती। हमने खेत में मज़दूरी करना शुरू की, रोज़ 150 रुपये मिलते पर स्कूल फीस 3000 महीना की, राजा को ट्यूशन, रानी को कॉलेज की किताबें in सबके लिए पैसा कहां से लायें? खेत बेचने की सोची, पर सीता बोली, ये हमारी जान है, खेत मत बेचो।
आज का माहौल और बच्चे
आज के कल्चर का असर घर में आया, इंटरनेट घर घर पहुंचा, मोबाइल हर व्यक्ति के हाथ में। हमने नौकरी के लिए स्मार्ट फोन लिया था, अब राजा उसपे लगा रहता है, 15 साल का, दिन भर टिकटॉक, इंस्टाग्राम देखता। बोलता है, “पापा, मैं इन्फ्लुएंसर बनूंगा, एक वीडियो से लाखों कमाऊंगा।” हम समझाते हैं, “बेटा, ये मीडिया का झूठ है, पढाई कर”, पर वो सुनता नहीं।
स्कूल से आता, होमवर्क छोड़ के गेम खेलता और ऑनलाइन सट्टेबाजी में पैसा हार गया। एक दिन बोला, पापा “नया फोन चाहिए, सब दोस्तो के पास आईफोन है।” हम बोलते हैं, “बेटा, पैसे नहीं।” वो गुस्सा करता और बोलता “आप तो कुछ काम नहीं कर सकते, मैं खुद करूंगा।” हम उसे मारे, पर सीता ने रोका “मत मारो उसे समझाओ।” दिल टूट गया, अपना बेटा ऐसे बोले?
रानी, 18 साल की उसकी अलग कहानी। टीवी पर सीरियल देखतीं- कुंडली भाग्य, बिग बॉस। बोलती, “मम्मी, मैं भी हीरोइन बनूंगी, शहर जाऊंगी।” जींस पहनती, मेकअप करती, रील बनाती। ऑनलाइन शॉपिंग करती, फ्लिपकार्ट से ड्रेस मगाती और पैसा माँगती, “पापा, 2000 चाहिए।” हम बोलते हैं, “बेटी, गाँव है, लोग क्या बोलेंगे?” पर वो बोलती, “पापा, आज का जमाना है।”
इंटरनेट पर लड़कों से चैट करती हूं। एक दिन मैंने उसे पकड़ा, व्हाट्सएप पे लड़के से बात करती “आई लव यू” गुस्सा आया, फोन छीन लिया। “ये का? पढ़ाई कर, शादी की उम्र है।” वो रो पड़ी, “आप पुराने ख्याल के हो, सबके पास बॉयफ्रेंड है।” पड़ोस की बुआ छीटाकशी करती, “सीता, तेरी बेटी तो बिगड़ गई, शहर भाग जाएगी।” सीता रतिया में रोटी, “कैसे संभालें इसको?”
सीता का संघर्ष
सीता हमारी ताकत थी सुबह 4 बजे उठ के गै-भैंस संभालती, दूध दोहती, खेत में सब्जी उगाती और खाना बनाती। इतनी मेहनत के बाद भी पैसे की कमी से उदासी। सीता बोलती, तुम काम क्यों नहीं ढूंढते? बच्चों को क्या बोलूं? । हम बोलते हैं, “कोशिश कर रहा हूँ।” घर में झगड़ा होता, “पहले सरकारी बाबू थे, अब बेकार हो गये, पर रात को सॉरी बोलते और गले लगते।
एक दिन सीता बोलीं, मीडिया में महिला सशक्तिकरण दिखता है, “मैं भी नौकरी करूंगी।” गाँव में सिलाई मशीन ली, कपडे सिलती, रोज़ 200 बनाती, पर काम का बोझ – घर, बच्चे, सिलाई सब कैसे चले। रात को नींद नहीं आती , सोचती, “ज़िंदगी का क्या होगा?” एक दिन बीमार पड़ गयी डॉक्टर बोला, “तनाव है।” हम रो दिये, “सीता, तू ना होती तो मै क्या करता?”
अँधेरा और उजाला
हम भी डिप्रेशन में हैं। रात को सोचते, “जिंदगी बर्बाद।” गांव के मंदिर गए बाबा जि से अपना कष्ट बताया, बाबा जी बोले, “परिवार है, संभाल।” फ़िर हम परिवार के साथ सब बैठें और विचार विमर्श किया “आज मीडिया का जमाना है, इंटरनेट है, youtube है, हम प्यार से जियेंगे।” राजा बोला, “पापा, मैं पढ़ाऊंगा, ।” रानी बोलीं, मै भी “घर में हेल्प करूंगी, ऑनलाइन सिलाई कोर्स पढ़ाउंगी।” सीता बोली, मै “दूध के काम में और कर मेहनत करती हूँ।
लेकिन पर मुसीबत कम नहीं हुई, स्कूल की फीस पेंडिंग है, प्रिंसिपल ने नोटिस भेजा, “बच्चों को निकाल देंगे।” शहर गए, दोस्त से 15 हज़ार उधार लिया। फिर काम करते समय करंट लगा पोल से गिर गए । हॉस्पिटल में 20 दिन भरती रहे , इलाज का बिल आया 10 हजार। राजा ने फोन बेचा, 3000 दिया। रानी ने सिलाई से पैसा जमा किया, सीता ने दूध से पैसे जुटाए थे सबने बिल चुकाया। हम रो दिये, बोले “बच्चन, तुम सबको इतना प्यार कैसे?”
फ़िर शुरू हुई बदलाव कहानी। राजा ने यूट्यूब चैनल बनाया- “देहाती जिंदगी।” गाँव की दिनचर्या दिखाता – खेत की कहानी, दूध दोहना, जानवरों का रख रखाव, खेती किसान की बाते बताता। व्यूज आए चैनल ग्रो हो गया, स्पॉन्सर मिला, 5000 महिना आने लगा । लोग हसते, “बेटा स्टार, बाप बेकार।” रानी ने etsy पे हस्तकला बेचना शुरू, गांव के कपड़े और जूट का सामान। सीता दूध का कारोबार बढाया। हमने सरकारी योजना से सोलर पैनल का प्रशिक्षण लिया, सोलर लगाने का काम मिला और रोज़ 400 मिलने लगे।
चींटी और उम्मीद
चैनल के साथ साथ राजा ने पढाई की और अब राजा इंजीनियर हो गया शहर में नौकरी मिला । रानी टीचर हो गयी, गाँव के स्कूल में पढ़ने लगी । हम और सीता गांव में, खेत भी संभालते। पूरी जिंदगी में बचपन का संघर्ष, नौकरी का सुख, चिंता का दुख, बच्चों को संभालना, आज के माहौल से लड़ना सब सीख गया हम सबने हिम्मत नहीं हारी मेहनत की और पैसा आने लगा , हम सब प्यार से रहने लगे और सब मैनेज हो गया। हर रात सीता के साथ बैठते, हँसते, पुरानी बातें याद करते। दोस्तों दिल से दिल तक, ये कहानी है हमारी।
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