Amazing Ghost Marriage Ceremony : पंडित ने भूत का अद्भुत विवाह कराया।

Marriage Ceremony : पंडित ने भूत का अद्भुत विवाह कराया।

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Marriage Ceremony: एक समय की बात है सज्जनपुर गांव में एक ब्राह्मण परिवार रहता था परिवार में  पंडित पंडिताइन और दो बच्चे थे पंडित मंदिर में पूजा पाठ करते थे शादी ब्याह (Marriage Ceremony) करवाते थे कथा हवन करवाते थे या यूं कहें कि पंडिताई का कार्य करते जिससे उनका तथा उनके परिवार का जीवन यापन होता था ।

Marriage Ceremony : पंडित ने भूत का अद्भुत विवाह कराया।

गांव छोटा था इसलिए कार्य कभी-कभी मिलता था पंडित जी के पास आने-जाने के लिए घोड़ी थी । एक दिन पंडित पंडिताइन आपस में विचार करते हैं कि परिवार बड़ा हो रहा है खर्चा बढ़ रहा है गांव में रहकर पंडिताई के कार्य में आमदनी कम है क्यों ना शहर जाकर पंडिताई का कार्य किया जाए अगले दिन सुबह पंडिताइन ने रास्ते में खाने के लिए प्रबंध कर दिया और पंडित जी घोड़ी पर बैठकर शहर के लिए निकल पड़े।

धीरे-धीरे पंडित को शहर में कथा पूजन, शादी विवाह (Marriage Ceremony)का कार्य मिलने लगा और आमदनी अच्छी होने लगी। शाम को घर वापस आते हैं खाने पीने और घर के उपयोग की वस्तुएं भी लेते आते हैं और अब घर आकर बच्चों को जोर से आवाज लगाते हैं आओ बच्चों, अपने घर के बच्चों के अलावा आसपास के बच्चे भी इकट्ठा हो जाया करते थे और पंडित जी सबको खाने की चीजे देते थे। खुशी-खुशी बच्चे अपने घर को चले जाते थे।

यही उनकी रोज की दिनचर्या थी शाम को घर और आसपास के सब बच्चे उनका इंतजार करते थे पंडित जी आएंगे तो चीज लाएंगे। इस तरह पंडित जी की आर्थिक स्थिति अच्छी हो गयी। आमदनी अच्छी होने का कारण पंडित जी ने अपना मकान बना लिया और घर में ज़रूरत की सारी चीजे इकट्ठा कर दी। धीरे धीरे आसपास गांवों में चर्चा होने लगी और दूर-दूर तक पंडित जी प्रसिद्ध हो गए।

आसपास के गांव से तथा शहर से भी पंडित जी को रोज पूजन कार्य के लिए बुलाए जाने लगे। पंडित जी घोड़ी पर बैठकर पूजा कराने जाया करते थे।

एक  दिन की बात है पंडित जी को शहर में हवन पूजन करने के उपरांत समय ज्यादा हो गया था देर रात में घर के लिए निकलते हैं अंधेरा काफी हो गया था। पंडित जी घोड़ी पर सवार होकर चलते हैं चलते चलते बहुत रात हो जाती है रास्ते में सुनसान जंगल से गुजरते हैं और रास्ता भटक जाते हैं बहुत चलने के बाद गांव नहीं मिलता और रात बहुत हो चुकी थी।

बहुत भटकने के बाद पंडित जी को थोड़ी दूर पर एक पंडाल नजर आता है जहां पर कुछ शादी कार्यक्रम चल रहा था पंडित जी उसी तरफ आगे बढ़ते हैं और देखते है कि बहुत खूबसूरत सजावट है किसी चीज की कोई कमी नहीं थी किसी धनी व्यक्ति का शादी का प्रोग्राम लग रहा था। Marriage Ceremony

घोड़ी को वहीं पास में बांधकर पंडित जी पंडाल में प्रवेश करते हैं द्वार पर खूबसूरत स्त्रियां हाथ में फूल माला लिए स्वागत  करती हैं  बहुत बढ़िया स्टेज सजा हुआ था दूल्हा दुल्हन के लिए बैठने के लिए उसके आगे बहुत सारी गद्देदार कुर्सियां लगी हुई थी। एक तरफ तरह तरह के व्यंजन लगे हुए थे मंच पर खूबसूरत नर्तकी नृत्य कर रही थी।

पंडित जी आयोजन देखकर आश्चर्य में पड़ गए ऐसा आयोजन जिंदगी में कभी नहीं देखा किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी हर व्यवस्था वहां मौजूद थी ऐसा लग रहा था कि स्वर्ग में आ गए हो, एक से बढ़कर एक व्यवस्था थी मानो किसी राजा की पुत्री का ब्याह हो रहा था। वर वधू का जयमाल कार्यक्रम (Marriage Ceremony )

संपन्न हुआ फिर उसमें जो मुख्य यजमान लग रहा था उसने घोषणा की, कि पंडित जी नहीं आए आगे की रस्मे कैसे संपन्न कराई जाए तभी किसी ने कहा यहां पंडित जी बैठे हैं इन्हीं से करवा लिया जाए और पंडित जी से कहा आप ही शादी (Marriage Ceremony ) करवा दीजिए, यदि आपको कोई आपत्ति ना हो।

पंडित जी विवाह करने के लिए तैयार हो गए और भलीभाति विवाह कार्य संपन्न कराया  इस प्रकार विवाह संपन्न होने के बाद और पंडित जी को बहुत सा धन और स्वर्ण मुद्राएं दी । उसके पश्चात कन्या के पिता ने पंडित जी को भोजन करवाया, भोजन  इतना स्वादिष्ट था ऐसा भोजन पंडित जी ने कभी नहीं किया था और आज के जितना  उपहार किसी शादी कार्य (Marriage Ceremony) को संपन्न कराने में कभी मिला था।

फिर मुख्य यजमान आकर पंडित से कहता है अब आप यहां से प्रस्थान करें और पीछे मुड़कर ना देखिएगा पंडित जी सारा सामान लेकर एक घोड़ी पर रखते हैं घोड़ी पर बैठकर कुछ ही दूर चले थे एक जोरदार घंटे की आवाज होती है और सारा आयोजन गायब हो जाता है।

पंडित जी अपने घर के लिए चल पड़ते हैं और रास्ते में सोचते हैं जान बच गई  यह तो “भूतों की बारात” थी। पंडित जी सीधे अपने घर को पहुंचते हैं सुबह होने में कुछ पल बाकी थे पंडित जी थके हरे लेट जाते है और सारा हाल पंडिताइन को बताते हैं।

सुबह होती है उत्सुकता से भरे पंडित और पंडिताईन सुबह उठकर मिले उपहारों की  गठरी को खोलते है गठरी खोलते ही उनकी आँखे चकरा जाती है फिर अपने आपको संभालते है और देखते है की गठरी में सोना और जवाहरात भरा हुआ था पंडित और पंडिताईन बहुत खुश होते हैं। गठरी में सोना और जवाहरात के साथ एक पत्र भी था अब उत्त्साह से पंडित जी पत्र को पढ़ते है पत्र में लिखा था “भूतों की बारात” की तरफ से कि सप्रेम भेंट। Marriage Ceremony

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