Sukumar Rani 11th story of Vikram Betal Pachisi, धर्मध्वज की सुकुमार रानी विकर्म बेताल की 11वीं स्टोरी

धर्मध्वज की सुकुमार रानियाँ- विकर्म बेताल की 11 वीं कहानी

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Sukumar Rani 11th story of Vikram Betal Pachisi: मदनसेना की कहानी सुनाकर और अपने प्रश्न का सही उत्तर पाकर बेताल शिशम्पा वृक्ष पर पुनः चला गया । राजा विक्रमादित्य ने जाकर वृक्ष से बेताल को नीचे उतारा अपने कंधे पर फिर से लादकर चल पड़ा। बेताल राजा का बचन तोड़ने के उद्देश्य से फिर राजा से कहता , “राजन, उस योगी के कहने में आकर तुम काफी परिश्रम कर रहे हो। फिर बेताल राजन से कहता है गहरी रात है रास्ता कठिन और सुनसान है रास्ता कट जाय इसलिए मैं तुम्हे एक कहानी सुनाता हूँ राजन सुन …

Sukumar Rani 11th story of Vikram Betal Pachisi

उज्जयिनी में धर्मध्वज नाम का एक राजा रहता था। वह धर्मवीर और न्यायप्रिय राजा था । उसकी तीन अत्यंत सुन्दर रानियां थीं, जो उसे समान रूप से प्रिय थीं। उन तीनों के नाम थे–इंद्रलेखा, तारावली और मृगांकवती। राजा उनके साथ रहकर सुखपूर्वक अपने राज्य का संचालन करता था।

एक बार जब बसंत ऋतु का उत्सव आया, तब वह राजा अपनी रानियों के साथ क्रीड़ा करने के लिए उद्यान में गया। वहां उसने पुष्पों से झुकी हुई लताएं देखीं, जो कामदेव के धनुष जैसी लग रही थीं। उनमें गुन-गुन करते भौंरों का समूह प्रत्यंचा के समान लगता था, जिसे मानो बसंत ने स्वयं ही सजाया हो।

ऐसे ख़ूबसूरत वातावरण में राजा ने अपनी स्त्रियों के पीने से बची उस मदिरा को पीकर प्रसन्नता पाई, जो उनके निःश्वास से सुगंधित थी और उनके होंठों की तरह लाल थी। राजा ने खेल-ही-खेल में रानी इंद्रलेखा की चोटी पकड़कर खींची, जिससे उसके कानों पर से कमल का फूल खिसककर उसकी गोद में आ गिरा। उस फूल के आघात से उस कुलवती रानी की जांघ पर घाव हो गया और वह हाय-हाय करती हुई मूर्छित हो गई।

पढ़ते रहिये विक्रम बेताल की ११वी कहानी Sukumar Rani 11th story

यह देखकर राजा और उसके अनुचर घबरा गए। राजा ने जल मंगवाकर रानी के मुंह पर पानी के छींटे मारे तो रानी होश में आई। अनन्तर, राजा उसे अपने महल में लाया और राजवैद्य से उसका उपचार करने को कहा। दो वैद्य तत्काल ही रानी के उपचार में जुट गए।

उस रात इंद्रलेखा की हालत में सुधार देखकर राजा अपनी दूसरी पत्नी तारावली के साथ चंद्र-प्रासाद नामक महल में गया। वहां तारावली राजा की गोद में सो गई। उसके वस्त्र खिसक गए थे, जबकि उसके शरीर पर खिड़की की जालियों से चंद्र देव की किरणें पड़ीं। किरणों का स्पर्श होते ही रानी तारावली जाग उठी और ‘हाय जल गई’ कहती हुई अचानक पलंग से उठकर अपने अंग मलने लगी। घबराकर राजा भी उठ बैठा! राजा ने देखा कि तारावली के उस अंग पर सचमुच ही फफोले पड़ गए थे।

Sukumar Rani 11th story of Vikram Betal Pachisi,
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तारावली ने बताया, “स्वामी, नंगे शरीर पर पड़ी हुई चंद्रमा की किरणों ने मेरी यह हालत की है।” तब राजा ने परिचारिकाएं बुलाईं और उन्होंने रानी के लिए गीले कमल-पत्रों की सेज बिछाई एवं उसके शरीर पर चंदन का लेप लगाया। इसी बीच तीसरी रानी मृगांकवती भी जाग उठी। तारावली के कक्ष से आती आवाजें सुनकर उसकी नींद उचट गई थी।

राजा के पास जाने की इच्छा से वह अपने कक्ष से निकलकर तारावली के कक्ष की ओर चल पड़ी। अभी वह कुछ ही कदम चली थी कि उसने दूर से किसी के घर धान कूटे जाने की आवाज सुनी। मूसल की आवाज सुनकर वह विकल हो उठी और ‘हाय मरी’ कहते हुए मार्ग में ही बैठ गई। परिचारिकाओं ने जब रानी की जांच की तो उन्होंने उसकी हथेलियो पर काले, गहरे धब्बे देखे। परिचारिकाएं दौड़ती हुईं राजा के पास पहुंचीं और सारा वृत्तांत राजा को बताया। सुनकर राजा भी घबरा गया और तुरंत अपनी रानी की हालत देखने उनके साथ चल पड़ा।

Vikram Betal ,Sukumar Rani 11th story in hindi

रानी के पास पहुंचकर राजा धर्मध्वज ने उससे पूछा, प्रिय! यह क्या हुआ?  तो आंखों में आंसू भरकर रानी मृगांकवती ने उसे अपने दोनों हाथ दिखाते हुए कहा, “स्वामी, मूसल की आवाज सुनने से मेरे हाथों में यह निशान पड़ गए हैं।” तब आश्चर्य और विषाद में पड़े राजा ने उसके हाथों पर दाह का शमन करने वाले चंदन आदि का लेप लगवाया।

राजा सोचने लगा, “मेरी एक रानी को कमल के गिरने से घाव हो गया, चंद्रमा की किरणों से दूसरी के अंग जल गए और इस तीसरी के हाथों में मूसल का शब्द सुनने से ही ऐसे निशान पड़ गए! हाय, देवयोग से मेरी इन तीनों ही प्रियाओं का अभिजात्य गुण एक साथ ही दोष का कारण बन गया।”

राजा ने वह रात बड़ी कठिनाई से काटी। सवेरा होते ही उसने राज्य भर के सभी कुशल वैद्यों और शल्य-क्रिया करने वालों को बुलवाया और अपनी रानियों का उपचार करने को कहा। उन वैद्यो और शल्यक्रिया जानने वालों के संयुक्त प्रयास से जब रानियां शीघ्र ही स्वस्थ हो गईं, तब राजा धर्मध्वज निश्चिंत हुआ।

यह कथा राजा विक्रम को सुनाकर उसके कंधे पर बैठे हुए बेताल ने पूछा, “राजन, अब तुम यह बतलाओ कि इन तीनों रानियों में सबसे अधिक सुकुमारी कौन-सी थी? जानते हुए भी यदि तुम मेरे इस प्रश्न का उत्तर न दोगे तो तुम पर पहले कहा हुआ शाप पड़ेगा।”

राजा ने कहा, “बेताल! धर्मध्वज की तीनों रानियों में सबसे सुकुमारी थी रानी मृगांकवती। जिसने मूसल को छुआ भी नहीं, केवल उसकी आवाज से ही उसके हाथों मे छले पड़ गए थे। बाक़ी दोनों को तो कमल एवं चंद्र-किरणों के स्पर्श से घाव तथा फफोले हुए। सबसे सुकुमार रानी “मृगांकवती” है।

Sukumar Rani 11th story राजा के दिए गए सही जवाब को सुनकर बेताल गायब हो गया और शिशंपा-वृक्ष पर जा लटका।

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