Bhabhi aur devar ki prem kahani | प्रेम और सविता | प्रेम कहानी का अंत क्या ?

प्रेम और सविता के बीच की रहस्यमयी प्रेम कहानी में एक सीधे-सादे सुंदर जवान लडके का  आकर्षण एक नवेली दुल्हन से हो जाता है जो एक ही परिवार के सदस्य है क्या प्रेम को नयी नवेली सविता भाभी का प्रेम मिल पाता है या दिल में ही दफ़न हो जाता है, जानने के लिए bhabhi aur devar ki prem kahani पढ़े।

Bhabhi aur devar ki prem kahani | प्रेम और सविता | प्रेम कहानी का अंत क्या ?

Bhabhi aur devar ki prem kahani शुरू होती है एक छोटी सी गली के एक छोटे से घर में जहाँ प्रेम अपने बड़े भाई विक्रम, उनके माता-पिता, और नयी नवेली आयी भाभी सविता के साथ रहता था। प्रेम, 22 साल का एक सीधा-सादा जवान लड़का था देखने में सुंदर था नाक नक्शा आकर्षक था। वह  अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने पापा की दुकान संभालता था। सविता, 26 साल की, एक ऐसी सुंदर और शांत लड़की थी, जिसकी मुस्कुराहट में जैसी चांदनी छुपी हो।

जब वह पहली बार घर आई, प्रेम ने उसे दरवाजे से देखा। उसके लाल जोड़े में वो बिल्कुल अप्सरा सी लग रही थी। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो प्रेम के दिल को छू गयी। “ये तो भाभी हैं, भाई की अमानत,” उसने अपने दिल को समझाया , लेकिन उसकी धड़कन कुछ और ही कहती थी। दोनों ने राकी और रानी की प्रेम कहानी पहले पढ़ी थी उनके दिमाग में रानी की प्रेम कहनी घूमने लगी। 

एक दिन, विक्रम काम के सिलसिले में दो हफ्ते के लिए शहर से बाहर चला गया। घर में सिर्फ प्रेम, सविता और उनके माता-पिता रह गए। एक शाम, जब तेज़ बारिश हो रही थी, प्रेम और सविता छत पर बैठ कर चाय पी रहे थे। बारिश की बूंदें उनके चेहरों पर गिर रही थी, और हवा में एक ठंडक सी थी। प्रेम ने चाय का कप पकड़ते हुए कहा, “सविता भाभी, ये बारिश कितनी सुंदर लगती है? जैसे सब कुछ साफ कर देती हो।” ज्यादा प्रेम कहानियां पढाना भी दिल को साफ करती है और प्यार उत्पन्न करती है ।

सविता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “हां, प्रेम। जैसे दिल के कोने में छुपी बातों को भी साफ कर दे।” उसके शब्दों में एक गहरा सा मतलब छुपा था, जो प्रेम के दिल तक पहुंच गया।

प्रेम ने मजाक में कहा, “भाभी, आपके साथ ये बारिश और भी सुंदर लग रही है।” उसके शब्दों में एक सच्चाई थी, जो सविता के दिल को छू गई। वो एक पल के लिए चुप हो गई, और दोनों के बीच एक अनकही सी खामोशी छा गई। सविता ने नज़रें झुकाते हुए कहा, “प्रेम, तुम भी ना, बस मज़ाक करते हो।” लेकिन उसके दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी। उसने अपने आप को समझा, “मैं विक्रम की पत्नी हूं, ये सोचना भी गलत है।” लेकिन दिल तो दिल है, वो कहां बंदिशों में रहता है?

जैसे-जैसे दिन गुज़रते गए, प्रेम और सविता के बीच नजदीकियां और गहरी होती गयी। एक सुबह, सविता रसोई में सब्जी काट रही थी, और प्रेम उसकी मदद करने आ गया। उसने हसकर कहा “सविता भाभी, आज मैं आपके साथ खीर बनाता हूं,” ।

“चलो, देखते हैं तुम्हारे हाथों का जादू,” सविता ने मस्ती भरी आवाज़ में कहा। दोनो एक साथ खीर बनाने लगे, रसोई में उनकी हंसी गूंज रही थी। कभी प्रेम छुरी से सब्जी काटने में गलती करता, तो सविता उसका हाथ पकड़कर उसकी मदद करती। उनके हाथों के छूने से दोनों के दिल में एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती थी। जब खीर बन गई, सविता ने एक छोटी सी कटोरी में खीर निकली और प्रेम को दी। “पहले तुम स्वाद करो, देवर जी,” उसने कहा।

प्रेम ने खीर खाई और आंखें बंद करके बोला, वाऊ सविता भाभी, ये तो अमृत है। आपके हाथों में सचमुच जादू है।” सविता हंस पड़ी, लेकिन उसकी आंखों में एक अलग सी चमक थी। दोनों के दिल एक दूसरे के और करीब आ गए।

एक और दिन, जब घर में कोई नहीं था, सविता अपने कमरे में एक पुरानी किताब पढ़ रही थी। प्रेम वहां आया और उसके पास बैठ गया। “भाभी, ये कौन सी किताब है?” उसने पूछा. “ये मेरी मायके की एक पुरानी डायरी है। इसमें मैंने अपने कॉलेज के दिनों की बातें लिखी हैं,” सविता ने मुस्कुराते हुए कहा। प्रेम ने उससे पूछा, “कोई खास बात बताएं ना, भाभी। आप कॉलेज में कैसी थीं?”

सविता ने हसकर कहा, “बस, एक सीधी-सी लड़की थी, जो अपने सपनों में खोयी रहती थी।” प्रेम ने धीमे से कहा, “भाभी, आप आज भी वैसी ही हो। आपके सपने आज भी चमकते हैं।” सविता ने उसकी तरफ देखा, और एक पल के लिए दोनो के दिल एक साथ धड़के। उस पल में, दोनों के बीच एक अनकही सी बात थी, जो शब्दों से परे थी।

एक दिन, घर के पड़ोस में एक शादी थी, और सविता को वहां जाना था। वो साड़ी पहन रही थी, लेकिन उसकी साड़ी का पल्लू बार-बार गिर रहा था। प्रेम, जो हमारे वक्त घर में था, उसने देखा कि सविता परेशान है। उसने धीमे से पूछा “सविता भाभी, मैं मदद करूं?”.

सविता शर्मा गई, लेकिन उसने हां में सर हिला दिया। प्रेम ने उसकी साड़ी का पल्लू ठीक किया, और उसके करीब आने से दोनों के दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। सविता के बालों से आती खुशबू ने प्रेम के होश उड़ा दिये। एक पल के लिए, दोनों की नजरें मिली, और वक्त जैसा रुक सा गया। सविता के गाल लाल हो गए, और उसने जल्दी से अपने आप को पीछे कर लिया। “शुक्रिया, प्रेम। बाकि अब मैं ठीक कर लेती हूँ,” उसने धीमे से कहा।

लेकिन उसके बाद, दोनों के दिल में एक तूफान सा उतर गया। सविता अपने पति के ली ये वफ़ादार थी, लेकिन उसके दिल में प्रेम के लिए एक अनकहे जज़्बात जाग चुके थे। प्रेम भी अपने जज्बातों को रोक नहीं पा रहा था। वो जानता था कि ये प्यार गलत है, लेकिन दिल के हाथ मजबूर थे।

एक और शाम, जब घर में बिजली चली गई, सविता अपने कमरे में अकेली थी। अँधेरे से उसे हमेशा डर लगता था। प्रेम ने जब उसकी आवाज सुनी, वो तुरंत एक मोमबत्ती लेकर उसके कमरे में चला गया। उसने प्यार भरी आवाज़ में कहा “सविता भाभी, डर क्यों रही हो? मैं हूं ना,” ।

सविता ने मोमबत्ती की रोशनी में प्रेम के चेहरे को देखा। उसकी आँखों में एक सच्चाई थी, जो उसके दिल को छू गयी। “प्रेम, तुम हमेशा मेरी फ़िक्र क्यों करते हो?” उसने धीमे से पूछा, प्रेम एक पल के लिए चुप रहा, फिर बोला, “क्योंकि आप मेरी भाभी जो हो।” लेकिन उसके शब्दों के पीछे एक छोटा सा प्यार छुपा था, जो शायद सविता ने भी महसूस किया।

एक शाम, सविता छत पर अकेली बैठी थी, उसकी आंखों में आंसू थे। प्रेम उसके पास गया और पूछा, “भाभी, आप इतना उदास क्यों हो? क्या बात है?” सविता ने रोती हुई आवाज में बोली, “प्रेम, हम दोनों के दिल में जो चल रहा है, वह गलत है। मैं विक्रम से प्यार करती हूं, लेकिन तुम्हारे लिए जो एहसास दिल में आ रहे हैं, उनका क्या करूं?”

प्रेम की आंखों में भी आंसू आ गए। उसने सविता का हाथ पकड़ते हुए कहा, “सविता भाभी, मैं भी समझता हूं, लेकिन ये दिल सुनता ही नहीं। मैं आपसे प्यार करता हूं, लेकिन ये प्यार कभी पूरा नहीं हो सकता।” दोनो के दिल टूट रहे थे. सविता ने कहा, “प्रेम, हमें अपने जज्बातों को दबा देना होगा। ये घर, ये परिवार, ये सबसे बड़ा है। हम अपने प्यार को इस परिवार के लिए कुर्बान कर देंगे।”

उस रात, दोनों छत पर देर तक बैठे रहे, एक दूसरे के साथ अपने दिल का दर्द बताएं। सविता ने प्रेम के कांधे पर सर रखा, और दोनों ने एक दूसरे के साथ एक आखिरी लम्हा जी लिया। उनकी खामोशी में एक अनकही कहानी थी, जो सिर्फ उन दोनों के दिल तक सीमित थी।

कुछ दिन बाद, सविता ने प्रेम के लिए एक छोटी सी चिट्ठी लिखी। उसने लिखा था, “प्रेम, तुम मेरे लिए हमेशा एक खास इंसान रहोगे। ये दिल तो बेकरार है, लेकिन हम अपने रिश्ते के बंधन निभाते हैं। तुम अपने सपने पूरे करो, और मुझे याद रखना।” उसने वो चिट्ठी एक छोटे से दब्बे में रखा, जिसमें एक छोटा सा गजरा था, जो सविता ने खुद बनाया था।

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प्रेम ने जब वो चिट्ठी पढ़ी, उसकी आंखों में आंसू आ गए। उसने गजरे को अपने हाथों में लिया, और उसकी खुशबू ने उसके दिल को एक बार फिर बेचैन कर दिया। उसने अपने आप से कहा, “सविता भाभी, ये प्यार तो हमारे साथ हमेशा रहेगा।”

कुछ दिन बाद, प्रेम ने फैसला किया कि वो घर छोड़कर दूसरी जगह चला जाएगा। उसने अपने भाई और भाभी को बताया कि वह अपनी पढ़ाई के लिए शहर जा रहा है। सविता समझ गई थी कि प्रेम ये सब क्यों कर रहा है। उसके दिल में दर्द था, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।

जब प्रेम जाने लगा, सविता ने उसके लिए एक छोटी सी तस्वीर बनाई थी, जिसमें एक सुंदर सा फूल था। उसने प्रेम को वो तस्वीर देते हुए कहा, “इसे रखना, प्रेम। ये याद दिलाएगा कि कुछ रिश्ते दिल में ही रह जाते हैं।”

प्रेम ने तस्वीर ली और बिना कुछ कहे चला गया। उसकी आँखों में आँसू थे, और सविता भी अपने कमरे में चुपके से रो रही थी।

कुछ साल बाद, प्रेम एक सफल व्यक्ति बन चुका था। उसने अपनी जिंदगी में तरक्की की, लेकिन उसके दिल में सविता के लिए वही पुराना प्यार था। सविता भी अपने परिवार के साथ खुश थी, लेकिन कभी-कभी प्रेम की याद में उसकी आंखें भीग जाती थीं।

एक दिन, प्रेम अपने घर वापस आया। वो अपने भाई और भाभी से मिलने के लिए आया था। सविता ने जब उसे देखा, उसका दिल फिर से धड़का, लेकिन अब वो दोनों समझ चुके थे कि उनका प्यार एक सपना था, जो कभी हकीकत नहीं बन सकता। दोनो ने एक दूसरे को मुस्कुराकर देखा, और उनकी आँखों में एक पुरानी कहानी थी।

प्रेम ने सविता से कहा, “सविता भाभी, आप हमेशा मेरे दिल में रहोगी।” सविता ने जवाब में सिर्फ इतना कहा, “और तुम मेरे, प्रेम।”

इस प्रकार परिवार और प्रतिष्ठा को ध्यान में दोनों ने अपने प्यार को दिल में ही दफन कर दिया, और अपने परिवार के लिए जीते रहे। उनका प्यार एक अनकही कहानी बन गया, जो सिर्फ उन दोनो के दिलों में जिंदा था ।

दोस्तों प्रेम और प्रेम की सविता भाभी की प्रेम कहानी कैसे लगी कमेन्ट में जरुर बताये और hindiluck.com indian blog को फॉलो कर ले।

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